Ganesh Ji Ki Aarti | आरती श्री गणेश
हेलो दोस्तों आज हम आपको श्री गणेश आरती / Shri Ganesh Aarti के बारे में जानकारी देंगे दोस्तों दिवाली / Deepawali का समय नजदीक है और इस समय लक्ष्मी पूजा / Lakshmi Pooja और गणेश पूजा / Ganesh Pooja की खास मान्यता है इसलिए यदि आप भी गणेश आरती / Ganesh Ji Ki Aarti की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप सही जगह पर आए हैं
दोस्तों आज मैं आपको श्री गणेश आरती / Shree Ganesh Aarti की पूरी जानकारी आर्टिकल के माध्यम से देने वाले हैं श्री गणेश आरती / Shri Ganesh Ji Ki Aarti का मतलब घर में सुख शांति और धन की प्राप्ति होने से है दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कोई भी शुभ काम करने से पहले आपको श्री गणेश की आरती जाप करना होता है
यदि आप श्री गणेश आरती के साथ किसी भी काम की शुरुआत करते हैं तो आपको अच्छा फल प्राप्त होता है और आपके घर में सुख शांति बनी रहती है जैसा कि भगवान विष्णु के अनुसार श्री गणेश जी को एक वरदान दिया गया था कि सबसे पहले पूजा करते समय उनका नाम किया जाएगा ऐसे ही यदि आप भी दीपावली के इस पावन अवसर पर श्री गणेश की आरती के साथ अपने दिन की शुरुआत करें
हमने आपको श्री गणेश आरती 1 और श्री गणेश की आरती 2 के बारे में जानकारी दी है नीचे दी गई आरती के अनुसार आपको पूजा का प्रारंभ करना चाहिए
भगवान गणेश जी की आरती 1
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
गणेश जी की आरती 2
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
दोस्तों उपरोक्त Ganesh Ji Ki Aarti के द्वारा आपको अपने दिन की शुरुआत करनी चाहिए श्री गणेश की आरती कॉपी करने के लिए आपको पूरे पेज को सेलेक्ट करके कॉपी कर ले और उसको प्रिंट आउट करा ले ताकि आपको आरती करते समय किसी भी दिक्कत का सामना ना करना पड़े तो ऐसे ही भक्ति सागर में डूबे रहने के लिए हमारे Blog पर आते रहे तो मिलते हैं अगले Article में तब तक के लिए जय हिंद वंदे मातरम जय श्री गणेश